Dehradun Disaster: जल-प्रलय में बही दून में उगाई वोटबैंक की ”फसल”, सरकार के लिए बनी जी का जंजाल

Dehradun Disaster: जल-प्रलय में बही दून में उगाई वोटबैंक की ”फसल”, सरकार के लिए बनी जी का जंजाल

देहरादून में रिस्पना बिंदाल जैसी नदियों के किनारे बसी मलिन बस्तियां एक गंभीर समस्या हैं। वोटबैंक की राजनीति के चलते नेताओं ने इन बस्तियों को बसाया जिससे भारी बारिश में जान-माल का नुकसान होता है। नदियों को पाटकर अवैध निर्माण किए गए जिन्हें राजनीतिक संरक्षण मिला। सरकारी प्रयासों में नेताओं ने बाधा डाली। वर्तमान में शहर में लगभग 150 मलिन बस्तियां हैं जिनमें से कई नदी किनारे बसी हैं।

रिपोर्ट- रजत जनहित इंडिया

 वोटबैंक की खातिर दून शहर में नेताओं ने नदी-नालों के किनारे मलिन बस्तियां की जो ””फसल”” उगाई है, अब वह सरकार के लिए जी का जंजाल बन चुकी है।

रिस्पना, बिंदाल, सौंग, टोंस और तमसा जैसी नदियों के किनारे चौतरफा मलिन बस्तियां पसरी हुई हैं और राजनीतिक दलों के नेता वोटबैंक की खातिर इनके ही सहारे चुनाव में वोटों की रोटियां सेंकने का काम करते आए हैं। जब कभी दून में भारी बारिश होती है, सर्वाधिक जान व माल की हानि इन्हीं नदियों के किनारे बसी बस्तियों में होती आई है। इस बार भी ऐसा ही हुआ।

अब तो स्थिति ये है कि सहस्रधारा व मालदेवता जैसे क्षेत्रों में भी नदियों को पाटकर बडे़-बड़े रिजार्ट खड़े किए जा चुके हैं और इन अवैध निर्माण को भी राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है। अगर समय रहते नदियों को अतिक्रमित करने वालों के विरुद्ध कदम उठाए गए होते, तो संभवत: दून में इतनी जनहानि नहीं

होती।